देसीटून्ज़

दिसम्बर 22, 2006

पण मेरे को तो दूसराइच टेंशन है…

Filed under: आदम और हव्वा... — raviratlami @ 7:40 पूर्वाह्न

आदम और हव्वा…

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6 टिप्पणियां »

  1. बहुत खूब और पति की जेब कब पकडने का!

    टिप्पणी द्वारा PRABHAT TANDON — दिसम्बर 22, 2006 @ 8:20 पूर्वाह्न

  2. अच्छा !!!!!!!!!
    ये अध्ययन नहीं करते तो पता ही नहीं चलता.
    सास-ननद के हाथ भी पकड़ने से कुछ असर होता ही होगा. आओ एक अध्ययन और करवा ले.

    टिप्पणी द्वारा पंकज बेंगाणी — दिसम्बर 22, 2006 @ 8:49 पूर्वाह्न

  3. एक-दूसरे का हाथ थामने से विश्वास और आत्म-विश्वास दोनों में वृद्धि होती है, हिंदुस्तानी संदर्भों में खासकर पत्नी के .

    टिप्पणी द्वारा प्रियंकर — दिसम्बर 22, 2006 @ 9:45 पूर्वाह्न

  4. ह्म्म्म्म्म्म!!!! तो ये कारण है…

    टिप्पणी द्वारा समीर लाल — दिसम्बर 22, 2006 @ 1:19 अपराह्न

  5. इसी बहाने वो भी बोलीं तो 🙂
    खूब 🙂

    टिप्पणी द्वारा जगदीश भाटिया — दिसम्बर 22, 2006 @ 3:27 अपराह्न

  6. अरे बधाई हो आज तो हव्वा मैडम भी बोल गईं। 🙂

    टिप्पणी द्वारा Shrish — दिसम्बर 23, 2006 @ 2:23 पूर्वाह्न


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